बुधवार

वास्तुशास्त्र क्या अंधविश्वास हैं

पूर्णिमा की रात चन्द्रमा के आकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार आता है। यानी समुद्र की जलराशि एक आकाशीय पिण्ड से प्रभावित होती है। अब जरा बिचार किजिए कि हमारे शरीर का 17-18 प्रतिशत भाग जल है। यदि समुद्र का जल आकाशीय पिण्ड से प्रभावित हो सकता है तो यह कैसे संभव है कि हमारे शरीर पर उसका या अन्य पर कोई असर नहीं पड़ेगा प्रवाह नहीं पड़ेगा!
दरसल आज हमारे हममें से ज्यादातर लोग हर बात को तर्क के पैमाने से नापने लगे हैं। यह बुद्धिवाद का तर्क का युग है जो हमें नहीं दिखाई पड़ता वह है ही नहीं जिसे हमारी बुद्धि समझ नही पाती वह हो नहीं सकता जो सिद्धांत आधुनिक बिज्ञान की कसौटी पर खरा नहीं उतरता वह गलत है। हममें से ज्यादातर लोग की समझ आज ऐसी हो गयाी है।
अंधविश्वास तो कइ पत्रिकाए ज्योतिष को भी कहती हैं इनमे अनेक प्रकार के लेख प्रकाशित हो चुकी है जिनके अनुसार आकाश में स्थित ग्रह नक्षत्रों का मानव जीवन पर कोई असर नहीं पड़ता है परन्तु एक सामान्य सी बात पर जिसे हममे से अनेक ने देखा होगा विचार करे तो ज्योतिषशास्त्र को गलत कहना गलत सिद्ध होगा जैसे मैंने उपर कहा है पूर्णिमा की रात चन्द्रमा के आकर्षण के कारण समुद्र में ज्वार आता है यानी समुद्र की जलराशि एक आकाशीय पिण्ड से प्रभावित होती है अब जरा बिचार किजिए कि हमारे शरीर में 17-18 प्रतिशत भाग जल है यदि समुद्र का जल आकाशीय पिण्ड से प्रभावित हो सकता है तो यह कैसे संभव है कि हमारे शरीर उस या वैसे ही पिण्डो का हम पर उसका प्रभाव नहीं पड़ेगा और हम उससे बिलकुल अप्रभावित अछूते रहे या रह जाए। अब तो आधुनिक चिकित्सा शास्त्र भी सिद्ध कर चुका है और मानता है कि मिर्गी, फाइलेरिया और हिस्ट्रीरिया जैसे रोगों की प्रबलता पूर्णिमा और आमावसया तिथियों में बढ जाती है। जब चन्द्रमा का हमारे जीवन पर इतना प्रभाव पड सकता है तो अन्य ग्रहों - नक्षत्रों ष से हम बिलकुल पूर्णिमा कैसे रह सकते है ¿ वैसे भी इस सत्य से विज्ञानी भी इन्कार नहीं करते हैं कि ब्रह्मांड का प्रत्येक कण दूसरे कण से किसी न किसी रूप में किसी प्रकार से संबंधित है। पृथ्वी जिन कणो से निर्मित है उन्ही या उन्ही किसी रूप में जुड़े या उत्पन्न हुए कणो से सब कुछ एक दूसरे से जुड़े हुए हैं सम्बन्ध है। इसलिए कि कुछ ज्योतिषी ठग हो सकते हैं लेकिन ज्योतिष शास्त्र ठग बिद्या नहीं है। यह एक विज्ञान है इसी प्रकार कुछ वास्तुविद भी ठग हो सकता है पर समूचा वास्तुशास्त्र ही गलत है कपोल कल्पना है यह कहना बेतुका व और अवैज्ञानिक है कठिनाइयां यह है कि आजकल हम जरूर से ज्यादा बुद्धिजीवी और तर्कवादी बन गये हैं जो बात अपने समझ में नहीं आताी उसे गलत कह देना आपने आप में अवैधानिक अवैज्ञानिक बात है सच्चा वैज्ञानिक यह नहीं कहता है कि वह जो कह रहा है या उसने जो भी कुछ खोजा है वहीं अन्तिम सत्य है उसका दृष्टिकोण रहता है और ऐसा होे सकता है और नही भी हो सकता है परन्तु दुख इस बात का है कि विज्ञान आज खुद ही एक अंधविश्वास बन गया है संसार में अनेक प्रकार के से ऐसी बातें होती रही है उपरी दृष्टि से जिनका कोई सिर पैर दिखाई नहीं पड़ता उनके होने में कहीं कोई कार्य - कारण सम्बन्ध नहीं होता फिर भी वह होती है और हमेशा से होती रही है उपरी दृष्टि से यह एक बात हुई कार्य - कारण संबंध के सिद्धांत पर आधारित विज्ञान उनकी वाक्या व्याख्या नहीं ढुंढ पाता जैसे मुर्तियाो का दुध पिना इस घटना की अनेक व्याख्या की गई इनमें राजनितिक व्याख्याएं भी थी और वैज्ञानिक व्याख्याएं भी वैज्ञानिको ने इसे दुध की सतह का पुष्ट तनाव ( सरफेस - टेंशन) बताया। परंतु वह सरफेस - टेंशन आज भी है। फिर आज वह चमत्कार क्यो नही हो रहा है। इसी प्रकार हम भुत प्रेतों को नहीं मानते उसके अस्तित्व और पूर्व जन्म की घटनाओ को ले आधुनिक विज्ञान के अनुसार ये तो कपोल - कल्पना और असंभव है परन्तु आज भी हमारे देश में ही नहीं (क्योंकि हमारा देश तो खैर पोगापंथियो का देश है) बल्कि अमेरिका और इंग्लैंड जैसे विज्ञानी रुप से अत्यंत उन्नत देशों में भी अनेक ऐसी रहस्यमयी इमारतें  है जहां प्रेतलीलाए़़ होती पायी गयी है और वैज्ञानिक उनकी कोई व्याख्या नहीं ढुंढ पाये हैं। पूर्व जन्म की घटनाएं भी विश्व भर में सदा होती रही है और उसमें आश्चर्यजनक सत्यता त पायी गयी है और बडा से बडा वैज्ञानिक भी ऐसे घटनाऔ के पिछे कोई तथाकथित वैज्ञानिक कारण नहीं खोज सका है तो क्या भविष्य में इसके श्रेष्ठ मार्ग दर्शन देने की अगुवाई भारत देश भविष्य दर्शन के लिए जाना जा सकता है इसकी जानकारी सत्यता को निर्देश जारी किए गए निर्णय नियम जानकारी वैज्ञानिक  पहलुओं को विश्व के सामने लाने के लिए जाना चाहिए क्योंकि हमारे देश में श्रेष्ठ ज्योतिषशास्त्र का मार्ग दर्शन देने की श्रेष्ठता है अतःहम हमारे जीवन में इस पर ग्रहो का
ज्योतिषशास्त्र के द्वारा कुछ हद तक पकड और सेहत रख रखाव परिवारण पर रेखादेंत किया जा सकता है इसको वैज्ञानिक आधार पर लिया जाना चाहिए इस पर आपका क्या कहना क्या विचार देगे इस पर अपनी प्रतिक्रिया टिप्पणीया जरूर देवे -**** Vinay singh - ****
https://vinaysinghsubansi.blogspot.com
kolkata Ram Bagan, Ram Bagan

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मनुष्य का सबसे बड़ा धन उसका स्वस्थ शरीर हैं इससे बड़ा जगत में कोई धन नहीं है यद्यपि बहुत लोग धन के पीछे अपना यथार्थ और भविष्य सब कुछ भुल जाते हैं। उनको बस सब कुछ धन ही एक मात्र लक्ष्य होता है। अन्तहीन समय आने पर उन्हें जब तक ज्ञात होता है तब तक देर हो चुकी होती है। क्या मैंने थोड़ा सा समय अपने लिए जिया काश समय अपने लिए कुछ निकाल पाता तो आज इस अवस्था में मै नहीं होता जो परिवार का मात्र एक प्रमुख सहारा है वह आज दुसरे की आश लगाये बैठा है। कहने का तात्पर्य यह है कि वह समय हम पर निर्भर करता है थोडा सा ध्यान चिन्तन करने के लिए अपने लिए उपयुक्त समय निकाल कर इस शारीरिक मापदंड को ठीक किया जाय। और शरीर को नुकसान से बचाया जाए और स्वास्थ्य रखा जाय और जीवन जीने की कला को समझा जाय।   vinaysinghsubansi.blogspot.com पर इसी पर कुछ हेल्थ टिप्स दिए गए हैं जो शायद आपके लिए वरदान साबित हो - धन्यवाद